Swine Flu in Hindi – स्वाइन फ्लू बचाव ही उपाय

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र (सास) Respiratory System से जुड़ी बीमारी है, जो A टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है. यह वायरस एच 1 एन 1 के नाम से भी  जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है. सबसे पहले 2009 में  स्वाइन फ्लू हुआ था. 

ये ऐसी बीमारी है जिसमे यदि व्यक्ति शुरु में ध्यान न दे तो इंसान की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है. सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में फर्क होता है स्वाइन फ्लू में जुकाम बहुत तेज होता है,नाक ज्यादा बहती है,पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है, स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर इलाज शुरू होना चाहिए.

इस फ्लू के होने पर मरीज को टेमीफ्लू नामक दवाई दी जाती है. स्वाइन फ्लू से डरने के बजाय जरूरत है की  इसके लक्षणों के बारे में जाने और सावधानी बरतने की है.

इन कारणों  से फैलता है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, स्वाइन फ्लू रोग से ग्रसित जब कोई व्यक्ति खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है, यह कण हवा के द्वारा या फिर किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं.

साथ ही अगर किसी  चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो तो भी स्वाइन फ्लू होने का खतरा बना रहता है, अगर किसी व्यक्ति को लम्बे समय से जुखाम, बुखार, मांसपेशियां में दर्द या गले में खराश हो और  लगातार बढ़ती जा रही हो तो उसे भी स्वाइन फ्लू होने का खतरा रहता है.

स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण

➤ नाक का लगातार बहना
➤ छींक आना, नाक लगातार  जाम रहना
➤ कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना
➤ शरीर की सभी मांसपेशियां में दर्द या अकड़न होना
➤ सिर में लगता  भयानक दर्द होना
➤ बहुत ज्यादा थकान महसूस होना
➤ बुखार होना, दवा खाने के बाद भी कम  होने के बजाय बुखार का लगातार बढ़ना.
➤ गले में खराश  लगातार बढ़ते जाना

सामान्य सर्दी, स्वाइन फ्लू और सीजनल फ्लू के लक्षणों में अंतर

बुखार Fever

➤ सर्दी के साथ बुखार आने जैसा लक्षण नहीं के बराबर पाया जाता है.
➤ 80 प्रतिशत मामलों में एच1 एन1 के मामलों में बुखा पाया जाता है.
➤ सामान्य फ्लू में बुखार होना सामान्य लक्षण है.

खांसी Cough

➤ सर्दी में सामान्य तौर पर म्यूकस वाली खांसी होती है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में सूखी खांसी होती है.
➤ सीजनल फ्लू में सूखी और कफ वाली दोनो तरह की खांसी होती है.

बंद नाक Stuffy Nose

➤ सामान्य सर्दी में नाक बंद रहती है जिसमें हफ्ते भर में आराम मिल जाता है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में सामान्य तौर पर बंद नाक का लक्षण नहीं मिलता है.
➤ सीजनल फ्लू में बहती नाक का लक्षण ज्यादा पाया जाता है.

सर्दी लगना Chills

➤ सर्दी में ठंड लगने जैसे लक्षण नहीं होते हैं.
➤ एच1 एन1 के मामलों में 60 प्रतिशत मरीज ठंड लगने की शिकायत करते हैं.
➤ सीजनल फ्लू में हल्की ठंड लगती है.

थकान Tiredness

➤ सामान्य सर्दी के मामले में हल्की थकान का अनुभव होता है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में में सामान्य थकान का अनुभव होता है.
➤ सीजनल फ्लू में भी थकान हल्की होती है और सामान्य तौर पर लोग कमजोरी की शिकायत करते हैं.

छींक Sneezing

➤ सामान्य सर्दी में छींक आना सामान्य लक्षण है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में सामान्य छींक आने जैसी समस्या नहीं होती है.
➤ सीजनल फ्लू में छींक आती है और बहुत से मरीजो में यह समस्या बहुत अधिक होती है.

अचानक प्रगट होने वाले लक्षण Sudden Symptoms

➤ सामान्य सर्दी के लक्षण कुछ दिनों में सामने आ जाते हैं.
➤ एच1 एन1 के मामलों में 3 से 6 घंटों में लक्षण सामने आने लगते हैं और अगर संक्रमण ज्यादा है तो तेज बुखार, पूरे शरीर में दर्द और सिर में तेज दर्द जैसे लक्षण तेजी से सामने आते हैं. यह लक्षण 4 से 7 दिन तक बने रह सकते हैं. स्वाइन फ्लू में डायरिया या पेट खराब होना भी एक प्रमुख लक्षण के तौर पर देखा जाता है.
➤ सीजनल फ्लू में लक्षण कुछ दिनों में सामने आते हैं और भूख कम लगना, सुस्ती, उल्टी,जी मिचलाना जैसे लक्षण 4 से 7 दिनों तक बने रहते हैं. सामान्य फ्लू में भी डायरिया या पेट खराब होने का लक्षण पाया जाता है.

सिर दर्द Headache

➤ सामान्य सर्दी में सामान्यत सिर दर्द का लक्षण नहीं पाया जाता है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में 80 प्रतिशत मामलों में सिर में तेज दर्द की शिकायत होती है.
➤ ​सीजनल फ्लू में भी सिर दर्द की शिकायत होती है.

खराब गला Sore Throat

➤ सामान्य सर्दी में खराब गले का लक्षण पाया जाता है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में खराब गले का लक्षण नहीं पाया जाता है.
➤ सीजनल फ्लू में भी खराब गले का लक्षण पाया जाता है.

छाती में बेचैनी Chest Discomfort

➤ सामान्य सर्दी में छाती में बेचैनी कम होती है.
➤ एच1 एन1 के मामलों में छाती में होने वाली बेचैनी खतरनाक स्तर तक होती है.
➤ सीजनल फ्लू में छाती में बेचैनी सामान्य स्तर की होती है.
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सिर्फ एक सूचना स्रोत की तरह है, किसी भी तरह इसका प्रयोग रोग की जांच के लिए किया जाना उचित नहीं है. किसी भी तरह के जांच के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें और मेडिकल प्रेक्टिशनर की समुचित जांच के द्वारा ही बीमारी निर्धारित करें.

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स्वाइन फ्लू से बचाव और इसका इलाज

           साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरतने से इस बीमारी के फैलने के चांस न के बराबर हो जाते हैं,ऐसे समय  में जब इस फ्लू के फैलने का ज्यादा खतरा हो तो  लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने से गले लगने से और चूमने  से बचना चाहिए
       साथ ही  यदि आप को फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो दूसरों से 2 मीटर की दूरी पर रहें ऐसे समय में जब फ्लू के लक्षण दिखने लगे तो घर पर रहें. ऑफिस, बाजार, स्कूल या अन्य किसी सार्वजानिक जगह जहा भीड़ भाड़ ज्यादा हो ऐसी जगह ना जाये और शरीर के प्रतिरक्षा और श्वसन तंत्र को मजबूत रखने के लिए  योग करे .
         बीमारी का  डर दिमाग से निकल देना चहिए  जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे इलाज के जरिए सात दिन में ठीक हो जाते हैं. कुछ लोगों को तो अस्पताल में एडमिट भी नहीं होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की दवा और आराम से ठीक हो जाते हैं.

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सही मास्क का चुनाव आप को स्वाइन फ्लू से बचा सकता है

       स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सामान्य मास्क कारगर नहीं होता, वायरस से बचाव में मास्क तभी कारगर होगा जब उसे सही ढंग से पहना जाए. जब भी मास्क पहनें, तब ऐसे बांधें कि मुंह और नाक पूरी तरह से ढक जाएं क्योंकि वायरस साइड से भी अटैक कर सकते हैं, स्वाइन फ्लू के दौरान ट्रिपल लेयर सजिर्कल मास्क लगाने से वायरस से 70 से 80 पर्सेंट तक बचाव रहता है और एन-95 से 95 से 100 पर्सेंट तक बचाव संभव है ऐसे समय में  थ्री लेयर सर्जिकल मास्क को चार घंटे तक और एन-95 मास्क को आठ घंटे तक लगाकर रख सकते हैं.इस लिए  ऐसे समय में सामान्य मास्क की बजाय  एन-95 मास्क ही पहनना चाहिए

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