Why Socrates was killed in Hindi सुकरात ने क्यों पिया जहर

सुकरात को महान दार्शनिक माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महान विचारक को जहर पीकर अपने प्राण त्यागने पड़े क्योंकि उनपर मुकदमा चलाकर उन्हें मृत्युदण्ड की सजा दी गई थी। हम यहां आपको उस मुकदमें की तफ्सील दे रहे हैं.

ईसा पूर्व 399 के बंसत की एक सुबह. एथेंस नगरी में 501 सदस्यों की एक विशालकाय जूरी के सदस्य अदालत परिसर में अपना-अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे. जूरी को 70 वर्ष के दार्शनिक सुकरात Socrates के विरुद्ध मुकदमे पर अंतिम सुनवाई करनी थी.

यह एक ऐसा मुकदमा था, जो आज भी दुनिया के सामने एक पहेली बना हुआ है. आखिर क्यों एक वृद्ध को उसकी शिक्षाओं के लिए दुनिया के प्राचीनतम लोकतंत्रों में से एक में मौत की सजा दी गई.

Famous Trial of Socrates in Hindi सुकरात का मुकदमा

न्यायालय परिसर में जूरी के सामने एक प्लेटफॉर्म पर अभियोगकर्ता जा खड़े हुए.  यह मुकदमा Ancient Greece प्राचीन यूनान के कवि मिलेटस Meletus, एक राजनेता अनाइट्स Anytus और एक प्रभावशाली वक्ता लाइसन Lycon की ओर से दायर किया गया था.

दूसरे प्लेटफॉर्म पर उस आरोपित Socrates को लाकर खड़ा किया गया. बड़ी संख्या में एथेंसवासी भी मुकदमे का फैसला सुनने के लिए कोर्ट परिसर में पहुंच चुके थे. सुकरात के कुछ शिष्य भी न्यायालय में मौजूद थे. इन्हीं में प्लेटो Plato भी शामिल थे. प्लेटो ने Socrates के मुकदमों का विवरण एपोलॉजी Apology में दिया है, जिसे सबसे अधिक प्रामाणिक माना जाता है.

Charges against Socrates दार्शनिक सुकरात पर आरोप

सुकरात पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए अभियोगकर्ताओं ने उन्हें मौत की सजा देने की मांग की.Socrates पर ये आरोप लगाए गए थे.
सुकरात एथेंस के देवताओं की पूजा नहीं करते, वे नास्तिक हैं.

वे नवयवुकों को भ्रष्ट कर रहे हैं, उन्हें बरगला रहे हैं.

वे भूमिगत और आसमानी चीजों की खोजबीन करते हैं और बुरी चीजों को अच्छा तथा अच्छी चीजों को बुरा साबित करते हैं.

वे वाचाल हैं और बहुत अधिक भाषण देते हैं. वे सूर्य को पत्थर और चन्द्रमा को मिट्टी का बना कहते हैं.

हालांकि, वास्तविक कारण यह था कि सुकरात के तत्कालीन सत्ताधारी दल के विरोधी अभिजात वर्गीय दल से निकट के संबंध थे.

Socrates Defense in Hindi सुकरात की दलील

आरोपों का जवाब देते हुए सुकरात ने कहा-यदि यह सच है कि मैं एथेंस के युवकों को गुमराह कर रहा हूं तो क्या मैं इतना मूर्ख हूं कि यह भी न समझ सकूं कि ये लोग एक दिन मुझे भी क्षति पहुंचा सकते हैं. सुकरात ने कहा कि वे अपने भाषणों में सत्य बोलते हैं और उनके कथन लच्छेदार नहीं होते हैं.

नास्तिक होने के आरोप का जवाब देते हुए सुकरात ने कहा- मैं एथेंस के देवताओं को नहीं मानता, पर ईश्वर को मानता हूं, इसलिए मुझ पर लगाया गया नास्तिकता का आरोप गलत है.

सुकरात ने जूरी के समक्ष कहा कि कोई भी समझदार व्यक्ति किसी भी काम को करते वक्त केवल यही देखता है कि जो कार्य वह कर रहा है, वह सही है या गलत. ऐसा व्यक्ति सही काम को करते वक्त मृत्यु की भी परवाह नहीं करता.

उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मेरा दायित्व सत्य की खोज तथा स्वयं और दूसरों को कसौटी पर कसना निर्धारित किया है, इसलिए मेरे लिए अपना काम छोड़ना तो ईश्वर की अवज्ञा करना होगा. इसलिए मेरे लिए मृत्यु से डरना उचित नहीं होगा.

Conviction of Socrates in Hindi सुकरात पर दोष सिद्धि

फैसले में कुल 501 जूरी सदस्यों में से 281 ने सुकरात को दोषी माना जबकि 220 ने उनके पक्ष में मत दिए. दोष सिद्धि के बाद अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों को सजा प्रस्तावित करने का अवसर दिया गया. अभियोजन पक्ष ने सुकरात के लिए मौत की सजा की मांग की, लेकिन सुकरात ने कहा कि दण्डित किए जाने के बजाय उन्हें तो ईनाम मिलना चाहिए.

साथ ही, सुकरात ने जीवनभर के लिए मुफ्त भोजन की मांग भी की. सुकरात के इस प्रस्ताव ने जूरी को और अधिक भड़काने का काम किया. जब वास्तविक दण्ड प्रस्तावित करने के लिए कहा गया तो सुकरात ने अनिच्छापूर्वक एक मीना चांदी जुर्माने के रूप में देने का प्रस्ताव दिया. प्लेटो और सुकरात के अन्य शिष्यों ने बाद में 30 मीना चांदी देने का प्रस्ताव किया.

इस प्रस्ताव को भी जूरी ने ठुकरा दिया. सजा सुनाए जाते वक्त 360 जूरी सदस्यों ने उन्हें मृत्यु दंड Death Penalty के पक्ष में मत दिया. ऐसा माना जाता है कि सुकरात ने दोष सिद्धि के बाद सुकरात स्वयं मृत्यु के लिए तैयार हो चुके थे, इसलिए उन्होंने कम कठोर सजा के लिए प्रयास नहीं किए.

Socrates’ final speech in Hindi सुकरात का अंतिम भाषण

मृत्युदंड के लिए प्रस्तुत सुकरात ने एथेंसवासियों को अपने अंतिम भाषण में कहा- आपने जो मेरे विरुद्ध मतदान किया है, उसकी सजा आप लोग अवश्य ही पाएंगे. वह सजा होगी, मुझ जैसे व्यक्ति को मृत्युदंड देने के धिक्कार के रूप में.

मैं तो यूं भी 70 साल पूरे कर चुका हूं. यदि आप मुझे मृत्युदंड नहीं देते तो भी मुझसे पीछा छुड़ाने की आपकी इच्छा कुछ ही वर्षों में पूरी हो जाती. आपने व्यर्थ ही कलंक मोल लिया. सुकारत ने आगे कहा मैंने आपसे दया की भीख नहीं मांगी क्योंकि ऐसा करना मैं मनुष्यता से गिरना समझता हूं. ऐसे जीने से तो मौत अच्छी. इसलिए मैं इस फैसले को कबूल करता हूं.

उन्होंने अपने अंतिम भाषण में आगे कहा, मृत्यु या तो स्वप्नविहीन निद्रा है या मृतक की आत्मा दूसरे लोक में चली जाती है. दोनों ही हालात में मरने से आदमी को कोई तकलीफ नहीं होती. दूसरे लोक में वह उन लोगों से मिलेगा जिन्हें ठीक उसी की तरह अन्यायपूर्वक मौत के घाट उतारा गया था. वहां भी वह सत्य की खोज जारी रख सकेगा.

Famous Quote of Socrates before drinking hemlock  विषपान से पहले सुकरात के अनमोल विचार

सुकरात ने अपने सम्बोधन के अंत में जो वाक्य कहे, वे हर सत्यान्वेषी को हर काल में प्रेरणा देते रहेंगे. वे कहते हैं- अब समय हो चुका है और हमें चलना चाहिए. मुझे मरने के लिए और आपको जीने के लिए. जीवन बड़ा है कि मृत्यु, यह तो ईश्वर जानता है, केवल ईश्वर ही जानता है.

सजा सुनाए जाने के एक महीने बाद सुकरात को विषपान करवा कर मारा गया. इससे पहले उनके कुछ शिष्यों ने उन्हें जेल से भगा ले जाने की योजना भी बनाई थी, किंतु सुकरात ने इस प्रस्ताव को नैतिक और कानून सम्मत नहीं मानकर अस्वीकार कर दिया.

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