Birbal Ki Khichdi in Hindi

 बीरबल की खिचड़ी Birbal Ki Khichdi

अकबर और बीरबल के किस्से न केवल मनोरंजन के लिये सुने जाते है बल्कि बीरबल जैसे विद्वान् के किस्से जीवन में हमें हर मोड पर शिक्षा भी देते है अकबर बीरबल के कई किस्से प्रचलित है उन्ही  में से एक है “बीरबल की खिचड़ी” इस कहानी में बीरबल ने खिचड़ी के माध्यम से राजा को उनकी गलती का एहसास करवाया और साथ ही एक व्यक्ति को न्याय भी दिलाया.

बीरबल की खिचड़ी कहानी Story

एक दिन बादशाह अकबर ने अपने महल में ये घोषणा की कि जो आदमी सर्दी के मौसम में नदी के ठंडे पानी में  पूरी रात खड़ा रहेगा.उसे बादशाह अकबर खुद पुरस्कृत करेंगे.अकबर के कहे अनुसार पुरे नगर में डंका पिटवा कर बताया गया की सर्दी के मौसम में नदी के ठंडे पानी में  पूरी रात  जो व्यक्ति  खड़ा रहेगा उसे राजा अपने हाथो  से इनाम देगे.

अगले ही दिन एक व्यक्ति ने सोचा की  गरीबी से परेशान हु क्यू ना गरीबी दूर करने की खातिर नदी में घुटने तक डूबे रहकर पानी में ठिठुरते हुए सारी रात बिता दी जाय.

और उसने ऐसा  ही किया बहुत मुश्किल उसने जैसे तैसे ठिठुरते हुए वो सर्द रात पानी में बिता दी और अगले दिन वो बादशाहअकबर के दरबार में अपना इनाम लेने पहुँचा तो बादशाह अकबर ने उससे पूछा “तुमने कैसे सारी रात बिना सोए, खड़े-खड़े ही नदी में रात बिताई? तुम्हारे पास इस बात का क्या सबूत है में कैसे मान लू ?”

इस पर उस व्यक्ति ने उत्तर दिया की “जहाँपनाह, मैं सारी रात नदी किनारे से जो महल के कमरे में जलता हुआ चिराग  दिख रहा था मै पूरी रात उसे ही देखता रहा और जागते हुए सारी रात नदी के ठंडे पानी  में गुजार दी.

” ऐसा सुनते ही राजा ने प्रतिउतर देते हुए कहा की इसका मतलब तो यह हुआ कि तुमने महल के उस जलते हुए चिराग की गरमी के सहारे पूरी रात पानी में खड़े रहे और ठन्डे पानी में खड़े रहने का इनाम  पाना चाहते हो?  ये तो सरासर गलत है और बादशाह अकबर ने क्रोधित होकर सिपाहियों को उसे जेल में बन्द कर देने का आदेश दे दिया .

बीरबल भी दरबार में बैठे बैठे ये सब देख रहे थे की राजा गलत कर रहे है  बीरबल को यह देख बुरा लगा कि बादशाह उस गरीब पर जुल्म कर रहे हैं और सारी रात ठण्ड पानी में ईमानदार से खड़े रहने के बाद  भी उसे इनाम की जगह सजा दे रहे है. तभी बीरबल ने मन ही मन सोच  लिया की राजा को एक उदाहरण के जरिये न्याय करने की सही सलाह दी जाये ताकि राजा के पद की गरिमा भी बनी रहे  और गरीब आदमी को उसका हक  मिल सके.

 

अगले ही दिन बीरबल ने अकबर को अपने घर भोजन पे खिचड़ी खाने के लिये आमंत्रित किया अकबर कभी भी बीरबल का आग्रह नहीं टालते थे इसलिये अगले दिन अकबर तय समय पर बीरबल के घर भोजन करने पहुंच गए काफी देर तक जब राजा भोजन के इंतजार में बैठे रहे और भोजन नहीं आया तो राजा ने कहा बीरबल वो स्वादिस्ट खिचड़ी कब परोसोगे तो बीरबल ने जबाब दिया की राजन खिचड़ी पका रहे हैं और वह खिचड़ी पकते ही आपको परोसी जायेगी.

काफी समय बीत जाने के बाद भी जब भोजन नहीं आया तो  बादशाह गुस्से  में खड़े हुए और कहा की ये कैसा भोजन हे जो पक ही नहीं रहा है में स्वयं देखना चाहता हूं और गुस्से में राजा उस जगह पर पहुंचे जहां बीरबल राजा के लिये खिचड़ी पका रहे थे.

बादशाह ने देखा कि एक बहुत लंबे से डंडे पर एक घड़ा बाँध कर उसे बहुत ऊँचा लटका दिया गया है और नीचे जरा सी आग जल रही है. पास में बीरबल आराम से खटिए पर लेटे हुए हैं.  इस पर बादशाह ने गुस्से में बीरबल से  पूछा यह क्या तमाशा है? क्या ऐसे  भी खिचड़ी पकती है? बीरबल तुम बेवकूफी कर रहे हो ऐसे तो न कभी खिचड़ी पकेगी और न में खा पाउगा.

इस पर तुरंत ही बीरबल ने कहा  माफ करें, जहाँपनाह, खिचड़ी जरूर पकेगी, पर वैसी ही पकेगी जैसी कि उस व्यक्ति ने सारी रात नदी के उस ठन्डे पानी में 1 किलोमीटर दूर  महल के दीये की गरमी लेते हुए रात बिताई थी. बादशाह अकबर को बात तुरंत समझ में आ गई. उन्होंने बीरबल को गले लगाया और उस निर्धन व्यक्ति को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया और साथ ही मुह मांगा इनाम  भी दिया तो ऐसी थी अकबर बीरबल की खिचड़ी.

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