Heart and mind connection in Hindi

Heart and mind connection in Hindi

दिमाग की सेहत से जुड़ी है दिल की सेहत

heart और दिमाग का जिक्र साथ-साथ ही आता है, फिर चाहे शेर-ओ-शायरी में हो  या फिर बातचीत में. दिल का दिमाग से करीबी रिश्ता है, यह बात यूं तो हम सभी कहते हैं लेकिन आज चिकित्सा जगत ने भी वैज्ञानिक आधार पर यह स्वीकार कर लिया है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए दिमाग की सेहत अच्छी रखनी बहुत जरूरी है. मन की भावनाओं के उतार-चढ़ाव का हृदय के कार्य पर एवं हृदय की रक्त धमनियों पर बहुत प्रभाव पड़ता है.

coronary heart disease meaning in hindi कोरोनरी हार्ट डिजीज क्या है

हृदय की मांसपेशियों (हृदयपिण्ड) तक ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त ले जाने वाली कोरोनरी धमनियों में जब मोटापन आ जाता है और उनमें रक्तप्रवाह कम हो जाने के कारण जो रोग होता है, उसको ही साधारण तौर पर कोरोनरी हृदय रोग कहा जाता है.
हृदय रोगों में सबसे अधिक मौतें आजकल कोरोनरी हृदय रोग या हृदय की धमनियों के रोग के कारण होती हैं. अब तो  30 से 40 वर्ष तक की आयु के लोग भी इस रोग के शिकार हो रहे हैं. पश्चिमी देशों में तो इन रोगों की रोकथाम को लेकर काफी जागरूकता आ गई हैं लेकिन हममें से ज्यादातर लोग अब भी इनके लिए उदासीन और लापरवाही भरा नजरिया रखते हैं.

Coronary heart disease symptoms कोरोनरी हृदय रोग के लक्षण

कोरोनरी हार्ट डिजीज Coronary heart disease में heart में रक्त का जाना धीरे-धीरे कम होता जाता है . इससे छाती में दर्द, सांस का फूलना, धड़कन का तेज होना या अनियमित होना आदि लक्षण हो जाते हैं . इन धमनियों में एकाएक रुकावट आने से दिल का दौरा पड़ जाता है . इस परिस्थिति में सीपीआर यानी कृत्रिम श्वसन एवं दाब देना बेहोश हुए व्यक्ति की जीवन रक्षा में कारगर साबित हो सकता है.

Coronary heart disease causes कोरोनरी हृदय रोग  के कारण

कोरोनरी हृदयरोग को जन्म देने बहुत सारे कारण होते हैं. हालांकि, चिकित्सकों का मानना है कि कोरोनरी हृदय रोग के लिए सबसे प्रमुख कारण मानसिक तनाव एवं वंशानुगत प्रभाव हैं. धूम्रपान और वसा युक्त भोजन का सेवन यानी high cholesterol diet जैसे अन्य कारणों के साथ मिलकर ये दो मुख्य कारण कोरोनरी हृदय रोगों को जन्म देते हैं.
जहां तक वंशानुगत प्रभाव यानी family history का प्रश्न है, इस कारण के निदान के विषय में अधिक कुछ नहीं किया जा सकता.  यह सही है कि  हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री से जुड़े कारण को पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता तो भी अपने रहन-सहन एवं लाइफस्टाइल में बदलाव करके हृदय की कार्यप्रणाली एवं इसमें रक्त संचालन को मजबूत कर दिल की बीमारियों के वंशानुगत दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है.
जरूरत यह है कि दिल की बीमारियों की family history वाले ऐसे परिवारों के लोग इस खतरे के प्रति युवावस्था में ही सचेत हो जाएं. ऐसे लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपनी लाइफ स्टाइल से खराब अादतों को बाहर निकालकर अपनी मानसिक एवं शारीरिक फिटनेस पर ध्यान दें.

Mental stress effects on heart in Hindi

हृदय पर भारी है मानसिक तनाव

हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव, अवसाद, घबराहट, चिंता, गुस्सा, दुख जैसी मानसिक स्थितियां दिल के काम करने की क्षमता पर बुरा प्रभाव डालती हैं.
कई बार देखा गया है कि आहार, धूम्रपान, शारीरिक श्रम, व्यायाम, डायबिटीज एवं ब्लड प्रेशर आदि कारणों पर ध्यान देने के बावजूद भी व्यक्ति कोरोनरी हृदय रोग की गिरफ्त में आ जाता है. इसके लिए व्यक्ति की मनोदशा, आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले मानसिक तनाव एवं विकारों  को ही जिम्मेदार माना जा सकता है.  
मेडिकल साइंस में हुए अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि मानसिकता तनावों के कारण विभिन्न ग्रंथियों से कुछ रासायनिक पदार्थ अधिक मात्रा में बनने लगते हैं, जिनमें कैटेकौलएमिन्स Catecholamines प्रमुख होते हैं.  
इसी कारण मानसिक तनाव की परिणति  हृदय की रक्तधमनियों एवं हृदय गति पर कई तरह के विपरीत प्रभावों के रूप में सामने आती है . जैसे कोलेस्ट्रॉल अधिक होकर कोरोनरी रक्त-धमनियों coronary arteries में जमा हो जाना, हृदय की रक्त-धमनियों के मोटे हो जाने से धीरे-धीरे हृदय में रक्त प्रवाह में कमी होना और हृदय की रक्त धमनियों में अचानक दबाव आ जाने से रक्तप्रवाह में कमी आना.
रक्त प्रवाह कम हो जाने को मेडिकल साइंस में इस्चेमिया ischaemia कहा जाता है.   कई बार इस्चेमिया होने पर भी व्यक्ति को सीने में दर्द या angina की शिकायत महसूस नहीं होती है, जिससे  डॉक्टर और मरीज दोनों में ही भ्रम की स्थिति बनी रहती है, जिसे साइलेंट इस्चेमिया Silent ischaemia का नाम दिया गया है.
धीरे-धीरे रोगी का हृदय कमजोर हो जाता है और heart beat हृदय गति अनियमित होने लगती है, जिससे कभी-कभी अचानक मृत्यु तक होने की आशंका बनी रहती है.
गुस्से या क्रोध के समय, वाहन चलाते वक्त, भाषण देते समय, साक्षात्कार के समय या पैराशूट से उतरते हुए मानसिक तनाव एवं आवेश की स्थिति बनती है, तब बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हृदय में रक्त प्रवाह की कमी यानी Silent ischaemia की आशंका और भी बढ़ जाती है.
जो लोग धूम्रपान करते हैं या जिनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है या जो मधुमेह और रक्तचाप से पीड़ित हैं या जिनमें हृदय रोगों की फैमिली हिस्ट्री है, उन लोगों में  इस तरह की कमी की आशंका अधिक होती है.
अचानक दिमाग को  झकझोर देने वाली किसी बात से न केवल हृदय रोगी बल्कि स्वस्थ एवं युवा लोगों की भी एकाएक मौत हो सकती है. दिमाग को झटका लगने से ग्रन्थियों से भारी मात्रा में Catecholamines उत्पन्न होकर हृदय की मांसपेशियों पर प्राणघातक प्रभाव पड़ता है .
इस प्रभाव के कारण हृदय पम्प की तरह कार्य करना बन्द कर देता है, हृदय में केवल कम्पन होता है . नींद में सपना देखते हुए अचानक दिमाग को  झटका लगने से S.lent Death तक हो जाती है l
मानसिक तनाव के अलावा और भी बहुत से अन्य कारण हैं, जिनसे मानसिक आवेश बढ़ने की संभावना रहती है. विमान चलाते समय पायलट और भीड़ भरे रास्तों में कार चलाते समय कार चालकों के हृदय गति परीक्षणों से यह सामने आया है कि जोखिम भरे काम करते समय हृदय गति में खतरनाक उतार- चढ़ाव आना अप्रत्याशित नहीं है. मानसिक दबाव में जीने वाले और जिम्मेदारियों को बोझ समझने वाले लोग हृदय रोगों के आसान शिकार साबित होते हैं.

Types of human nature in Hindi मानव स्वभाव के प्रकार

मानव स्वभाव के आधार पर दो तरह का होता है. पहले वे लोग  होते हैं, जिनकी भौहें तनी रहती हैं, हर वक्त भाग-दौड़ करते नजर आते हैं और बात-बात पर उखड़ जाते हैं. ऐसे लोग न केवल खुद हृदय रोग और ब्लड प्रेशर की बीमारियों से घिर जाते हैं बल्कि घर और दफ्तर में अपने करीब रहने वाले लोगों को भी  मानसिक तनाव  और ऐसी बीमारियों की ओर धकेल देते हैं.
इस तरह के लोग ही रिलेक्स की चाह में  बीड़ी-सिगरेट, शराब और ड्रग्स के नशे में फंस जाते हैं. इस श्रेणी के लोगों में पद की होड़, सत्ता की लालसा, घमण्ड, दिखावा, धन का लालच और भौतिक सुखों की भूख सीमा से अधिक पाई जाती है.  ये लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसी भी हद तक गिर जाते हैं.  
इस किस्म के लोगों की आदतों की वजह से इनमें कैटेकौलएमिन्स Catecholamines का निर्माण भी ज्यादा होता है. नतीजा यह होता है कि इनमें हृदय की धमनियों के रोग, ब्लड प्रेशर एवं डायबिटीज जैसे रोग जड़ें जमाने लगते हैं.
दूसरे वे लोग होते हैं, जिनका व्यक्तित्व अपेक्षाकृत शान्त प्रकृति का होता है. ये लोग जीवन मूल्यों को साथ लेकर चलते  हैं. जिंदगी की रेस में सही तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. सफल तो ये लोग भी होना चाहते हैं, लेकिन सफलता के लिए पागलपन की सीमा तक नहीं जाते. इसके लिए अपना मानसिक संतुलन नहीं खोते. पद एवं सत्ता उनके दिमाग पर हावी नहीं होती.

Tips to reduce mental stress in Hindi मानसिक तनाव से कैसे बचें

मानसिक तनाव दूर करने के लिए ये उपाय कारगर सिद्ध हो सकते हैं.
  • पुरानी, सहज और साधारण जीवन पद्धति को फिर से अपनाएं.
  • राजनेता, कम्पनियों और सरकार के बड़े अधिकारी, सेलिब्रिटीज, चिकित्सक, वकील, उद्योगपति एवं व्यापारी तनाव भरी जिंदगी जीते हैं. अगर आप इस पेशों में हैं तो अपने जीवन की प्राथमिकताएं तय कर सिद्धांतों के आधार पर जीवन जिए. चकाचौंध को हावी नहीं होने दें.
  • बीड़ी, सिगरेट, शराब और नशीली दवाओं के सेवन से दूर रहें.
  • दिल को सेहतमंद बनाने के लिए अपने आहार में जरूरी बदलाव करें.
  • कोरोनरी हृदयरोग एवं ब्लड प्रेशर के लक्षण लगने पर लापरवाही नहीं करें, तुरंत अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं और चिकित्सकीय परामर्श लें.
  • आत्मविश्लेषण करें और अपनी उन आदतों की पहचान करें जो आपके दिल की दुश्मन हैं. इसके बाद इन आदतों पर विजय पाने में जुट जाएं.
  • ध्यान, योग और व्यायाम की शरण में जाएं. दिल की सेहत दिमाग के स्वास्थ्य से ही जुड़ी हुई है, इसलिए दोनों में से किसी को भी नजरंदाज करना भूल होगी.
डिस्क्लेमर- इस लेख का उद्देश्य स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करना है. यहां उपलब्ध कराई गई जानकारी किसी भी रुप में डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है.
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