Buddh Purnima 2019 in Hindi – बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा Buddh Purnima

बुद्ध पूर्णिमा Buddh Purnima का त्यौहार हिंदी पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस त्यौहार को बुद्ध जयन्ती, हनमतसूरी, वेसाक पूर्णिमा,सत्य विनायक पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा, निर्वाण दिवस, गौतम बुद्ध का जन्म दिवस और महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनिया के हर कोने  से बौद्ध धर्म को मानने वाले यहां आते हैं. बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है. बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों का ये एक प्रमुख त्यौहार है. अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार इस साल बुद्ध पूर्णिमा का पर्व  18 मई को मनाया जाएगा. वर्ष 2019 में गौतम बुद्ध की 2581वीं जयंती मनाई जाएगी.

क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा

धर्म ग्रंथो के अनुसार बुद्ध भगवान विष्णु के 9 वे अवतार थे. भगवान बुद्ध ने जब अपने जीवन में पाप,हिंसा और मृत्यू के बारे में  समझने और जानने के बाद सांसारिक मोह माया के साथ ही अपने गृहस्त जीवन को त्याग कर जीवन के कठोर सच की खोज में निकल पड़े. भगवान बुद्ध के लम्बे समय तक बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठ कर तपस्या  करने के बाद जब उन्हें इस ज्ञान की प्राप्ती हुई थी वो दिन  वैशाख पूर्णिमा का दिन था. तभी से  इस दिन को वैशाख पूर्णिमा के साथ-साथ  बुद्ध पूर्णिमा के नाम से  जाना और मनाया जाता हैं. विष्णु के 9 वे अवतार होने के कारण बौद्ध और हिन्दू धर्म में इस दिन का विशषे महत्व है.
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ऐसे करें बुद्ध पूर्णिमा पर पूजा Budh Purnima Pooja

  • इस दिन भगवान बुद्ध ने जिस बोधि वृक्ष के निचे बैठ कर सालो तपस्या की थी इस लिए  बुद्ध पूर्णिमा के दिन  बौध वृक्ष की पूजा भी की जाती है और उस पर दूध आदि चड़ाया जाता है.
  • बोधिवृक्ष की  शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएँ सजाई जाती हैं.
  • इस पर्व के दिन बोधि वृक्ष, घरों और मंदिरों में दीपक और आगरबती  जलाकर प्रकाशित और सुगंधित बनाया जाता है.
  • प्रात: जल्दी उठकर भगवान बुद्ध के मंदिरों में पाठ किया जाता है साथ  ही मंदिरों में फलों का चड़ावा भी चढ़ाया जाता  है.
  • बुद्ध पूर्णिमा  के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म भी करना चाहिए.
  • दुनिया भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं.

बौद्ध धर्म क्या है?

बौद्ध धर्म दुनिया चार बड़े धर्मो में से एक है.बौद्ध धर्म श्रमण परम्परा से निकला एक महान दर्शन है.इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है. बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध है जिन्ह विष्णु के 9 वे अवतार भगवन बुद्ध के रूप में भुई जाना जाता है. बोद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए ये सबसे बड़ा पर्व होता है.
राजपरिवार में जन्मे गौतम बुद्ध का वास्तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था.एक दिन मानवीय पीड़ा से व्यथित हो कर सिद्धार्थ गौतम सभी सुख सुविधा से संपन्न जीवन अपने पुत्र राहुल और पत्नी यशोधारा को त्याग कर मानव कल्याण के ध्ये के साथ जंगल की ओर ज्ञान और बोध की खोज में निकल पड़े सालो ध्यानाभ्यास के बाद ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ गौतम भगवान बुद्ध कहलाये।उन्ही के नाम से आज विश्वे  में बौद्ध धर्म प्रचलित है.

वैसे तो बौद्ध धर्म को मानें वाले सभी लोगे भगवान बुद्ध के सिद्धांतो को ही मानते है. लकिन बौद्ध धर्म में भी चार सम्प्रदाय हैं- हीनयान या थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान.

हीनयान

इस सम्प्रदाय के लोग बौद्ध धर्म के प्राचीन आदर्शों का वैसा ही बनाए रखना चाहते है.इस वर्ग के लोगे बुद्ध को भगवान नहीं महापुरुष मानते थे. हीनयान संप्रदाय के सभी ग्रंथ पाली भाषा मे लिखे गए हैं. इस सम्प्रदाय में  साधना कठोर होने के कारण हीनयान सम्प्रदाय के लोगे  भिक्षुु जीवन पे जोरे देते थे.

थेरवाद और महायान

थेरवाद और महायान बौद्ध धर्म  में भारत से शुरु होकर दक्षिण-पूर्व के साथ ही  एशिया दीप समूह के अन्य देशों तक फैले  है. यह दोनों सिद्धांत प्राचीन बौद्ध धर्म के सिद्धांतों  पर चलने का जोर देते है .

वज्रयान

वज्रयान शब्द  संस्कृत भाषा का है इस सम्प्रदाय  में  बौद्ध विचारों की पालना के लिए जोरे  दिया जाता है.  इस पद्धति का प्रचलन तिब्बत में है.

नवयान

14 अक्तूबर, 1956 को नागपुर में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने हजारों लोगो के साथ बौद्ध धर्म धारण कर लिया था. इतहासकारो का ऐसा मानना है, की इस दिन भारत में बौद्ध धर्म का या पुनर्जन्म हुआ था. नवयान को भीमयान और आंबेडकरवाद भी कहते हैं. लाखो  लोगो ने अपने समाज को छोड़ कर इतनी बड़ी सख्या में  बौद्ध धर्म को  एक साथ अपना लिया था. इस लिए बोध धर्म में इतनी बड़ी संख्या में आये नव अनुयाईओ के कारण इस पंथ को नवयान के नाम से जाना जाने लगा.

भगवान बुद्ध का संक्षिप्त परिचय

भगवान बुद्ध का जन्म  563 ई.पू में  लुम्बिनी में हुआ था जो की नेपाल में स्थित है.भगवान बुद्ध के बचपन का नाम  सिद्धार्थ गौतम था. इनके पिता का नाम नरेश सुद्धोधन और माता का नाम रानी महामाया था.अब के बुद्ध और तब के सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के यहाँ उपनिषेद,वेद,युद्ध और राजकाज की शिक्षा ली.सिद्धार्थ गौतम का विवह यशोधरा के साथ हुआ था.इनके पुत्र का नाम राहुल था.

सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बनें की प्रचलित कथा

जब गौतम बुद्ध बहुत छोटे थे तो उनके पिता जो की शाक्यों के राजा थे. उन्होंने  बुद्ध की कुंडली कुछ विद्वान पंडितो को दिखाई तो उन पंडितो ने  भविष्यवाणी करते हुए कहा की ये  बड़े होकर या तो  महान राजा बनेंगे या फिर महान आधात्मिक गुरु.
इस भविष्यवाणी से बुद्ध के पिता व्याकुल थे वो चाहते थे की  उनका बेटा राजा ही बन इस डरे से गौतम बुद्ध के पिता ने उन्हे उन सभी सांसारिक दुखों और अवधारणाओं से दूर रखा. ताकि बुद्ध को सभी कुछ सुंदर और अच्छा  दिखाई दे. काफी सालों तक तो उनके पिता इस काम में सफल रहे.

एक दिन जब गौतम बुद्ध Gauttam Buddha रथ पर बैठकर शहर के भ्रमण के लिए निकले तो शहर भ्रमण के दौरान उन्होंने रास्ते में बीमार और बुढ़ापे से परेशान व्यक्तियों को देखा. थोड़ आगे चले तो उन्होने देखा की एक लाश के पास बैठ के कुछ लोग रो रहे है. इतना सब देखकर  उनके मन में कई प्रश्नों ने जन्म ले लिया था. और फिर सिद्धार्थ गौतम ने सभी सांसारिक मोह माया को त्याग कर दिया और वन की और चल पड़े.

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