Great wall of china information in hindi-चीन की दीवार

चीन की दीवार के बारे में जानकारी

चीन की दीवार को कौन नहीं जानता? यह अपने निर्माण के सैकड़ों सालों बाद भी मानव निर्मित सबसे बड़ी संरचना है, great wall of china from space यह इतनी बड़ी है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है.

इस महान दीवार का इतिहास भी इस दीवार की तरह ही बहुत लंबा और विस्तृत है. इस का इतिहास रक्तरंजित है, इसे बनाने में लाखों लोगों की जान गई और इसे बचाने में भी लाखों लोगों ने अपना जीवन होम कर दिया.

history of great wall of china in hindi pdf चीन की दीवार का इतिहास

प्राचीन काल से ही संसार के सभ्य देशों में चीन का स्थान आगे था. कहते हैं चीन ही वह देश है जिसने दुनिया को सभ्यता की शुरूआती शिक्षा दी थी. यहां के निवासी दस्तकरी और कारीगरी पूरी दुनिया में बहुत मशहूर है.

जब यूरोप में सभ्यता अपने आरंभिक दौर में थी तब चीन में बड़े—बड़े राजप्रासाद निर्मित हो गए थे. ‘चीन की महान् दीवार’ जो संसार के महान आश्चर्यों ने एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है.

बन्दूक और बारूद का आविष्कार सर्वप्रथम चीन ने ही किया था. रेशम और रेशमी वस्त्रों का भी उत्पादन सर्वप्रथम चीन में ही हुआ था. यही कारण है कि संस्कृत में रेशम को ‘चीनाशुक’ कहा जाता है.

why was the great wall of china built क्यों बनाई गई चीन की दीवार

cheen ki deewar kisne banwaya चीन के सम्राट चिंग ने चीन की दीवार को बनाने की शुरूआत की. इस दीवार को बनाने का मुख्य उद्देश्य था कि यह उत्तर के उपद्रवकारी तातारों से चीन की रक्षा करेगी और दूसरे सम्राट को दीवार के निर्माण की अवधि में अपने भीतरी दुश्मनों से भी निपटने का अवसर मिल जाएगा.

इस दीवार के बनने में कितना धन खर्च हुआ, कितने लोगों के प्राण गये, इसका कोई प्रमाणित उल्लेख उपलब्ध नहीं है. इतिहास के जानकार यही बतलाते हैं कि जहां-जहां से होकर यह दीवार गई है, वहीं-वहीं के लोगों पर इस दीवार के निर्माण का सारा खर्च डाला गया था. सम्राट की तरफ से इसमें काम करने वालों को कोई मूल्य नहीं दिया जाता था. लोग अपनी तरफ से इस दीवार के बनाने में जी-जान से जुट गये थे.

चिंग जब उत्तर से तातार आक्रमणकारियों को भगाकर लौटा, तो उसे लगा कि अगर वह ​अगर पूरे चीन में इस प्रकार की एक दीवार बनवाये तो चीन की रक्षा करना बहुत आसान हो जाएगा. प्रजा उसे बहुत चाहती थी. अतः उसने लोगों को केवल शब्दों से प्रोत्साहित किया और उसकी आवाज सुनते ही लोग प्राणप्रण से इस महायज्ञ में आहुति देने के लिए चल पड़े.

चिंग जानता था कि इस निर्माण को पूर्ण करने में उसकी हजारों की संख्या में प्रजा को प्राण से हाथ धोना पड़ेगा. वह यह भी जानता था कि उसके खजाने में इतना धन नहीं है कि वह मजदूरों को मजदूरी भी दे सके. पर इस दीवार की जरूरत को वह समझता था इसलिये उसने साहस और प्रोत्साहन का मंत्र अपनी प्रजा को दिया. उसकी आवाज पर लोग हजारों की संख्या में जुट गये और दीवार बनने लगी.

इतना ही नही, चिंग ने अपने सम्राज्य के प्रत्येक हिस्से से इंजीनियरों और हजारो की संख्या में मजदूरों को आमंत्रित किया. प्रत्येक व्यक्ति के लिये इसमें कार्य करना अनिवार्य कर दिया गया था. यहां तक कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति के पास कोई किताब पाई गई तो उसे चार वर्षों तक दीवार के निर्माण में कड़े श्रम करने की सजा दी जाती थी.

चिंग यद्यपि दयालु और प्रजा पालक था, पर इस दीवार को लेकर वह बुद्धि शून्य और अन्धा बन गया था. इस मामले मेूं उसे न्याय और अन्याय में कोई अन्तर नहीं दिखाई पड़ता था इसलिये ऐसे लोगों को भी जो पढ़ना चाहते थे वह एक साधारण मजदूर की तरह दीवार के निर्माण कार्य में ईंट और पत्थर ढ़ोने के लिये लगा देता था. उसके कारिन्दे भी लोगों पर बहुत अधिक अत्याचार करते रहते थे.

दिन-रात एक करके लोग काम में लगे रहते तो भी उन्हें दोनों समय सूखी रोटियां भी खाने के लिये नसीब न होती थीं. कितने ही लोग तो भूख से तड़प-तड़प् कर इस दीवार की नींव में गड़ गए या समुद्र की लहरों में समा गए थे पर लोगों की इस दयनीय अवस्था पर चिंग ने कभी गम्भीर होकर नहीं सोचा.

रात दिन उसे इस दीवार की धुन बनी रहती थी. वह चाहता था कि जल्दी से जल्दी यह दीवार तैयार हो जाय, पर इतना महान कार्य जल्दी होने वाला नहीं था. जो कारीगर इसकी मजबूती, ऊंचाई आदि की जांच करते थे, वे इस मामले में बड़े सतर्क थे. जहां कही भी दीवार में उन्हें कोई त्रुटि नजर आती तो वे उसे तोड़कर फिर से नये सिरे से उसे बनवाते थे.

एक अंग्रेज लेखक मि. गेयल ने इस महान दीवार के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट करते हुए लिखा है-‘जब मनुष्य की महान कृतियों के सम्बन्ध में बारंबार सुनते हैं, पढ़ते हैं, तो स्वाभाविक हममें उत्कंठा जागती है. पर जब हमें उसकी कृति को देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है. तो हमें उसे देखकर चकित होना पड़ता है. कदाचित् ही हमारी आखों के सामने उनके वर्णन के पीछे का इतिहास सत्य रूप में आता है.

पर चीन की इस महान् दीवार के विषय में ऐसी बात नहीं है. हमने इसकी महानता पर जितना भी सुना या पढ़ा था देखने पर मै इसे उससे कई गुना अधिक महान पाता हूं चाहे हम इस ‘महान् दीवार’ को तारों के झिलमिल प्रकाश में देखे, चाहे चन्द्रमा की थिरकती चांदनी मे अथवा सूर्य के दैदिप्यमान प्रकाश में, यह दीवार हमें बड़े दैत्याकार पर्वत की तरह ही दिखाई पड़ती है.

यह दीवार इतनी महान है, कि यदि समस्त संसार में विषुवत रेखा पर इसमें जितना सामान लगा हुआ है, उसको एकत्र किया जाय तो एक तीन फीट चौड़ी और आठ फीट ऊंची दीवार बन जायेगी.

जब हम इसमें लगे हुये साधन एवं श्रम की कल्पना करते है तो अनायास ही हमें मान लेना पड़ता है कि इसके निर्माण में हजारों लोगों को पसीना, आंसू और खून बहाना पड़ा होगा. वास्तव में इसे ‘खून की दीवार’ कहना ही उचित होगा.

क्योंकि जब हम उन लोगों की दर्दनाक कहानियां पढ़ते है, जिनक बाप-दादों को इस दीवार के बनाने में अपनी हड्डियों तक को लगा देना पड़ा था, तब हम सहज ही कल्पना कर सकते है, कि कितने बलिदानों की कब्र है यह दीवार.’

मि. गेयल की कही गई यह उक्ति इस दीवार की महानता का एक स्पष्ट प्रमाण है. प्रकृति का यह नियम है कि विध्वंस की नीव पर ही निर्माण की ईटें जोड़ी जाती हैं. अतः कोई आश्चर्य नहीं कि संसार प्रसिद्ध इस दीवार के निर्माण में चीन की तत्कालीन जनता को अपार बलिदान देने पड़े हो. यदि ऐसा न हुआ होता तो आज चीन का वैभाव विशाल संसार के सामने गर्व से सिर ऊंचा किये खड़ा कैसे रहता.

एक विदेशी यात्री ने इस दीवार की विशालता और आकार-प्रकार को देखकर कहा था-‘दूर से देखने पर चीन की यह दीवार’ ‘पत्थर के विशाल अजगर’ की तरह भयानक मालूम पड़ती है. जिस तरह टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर इस दीवार का निर्माण किया गया है, वह सचमुच ही अजगर की भांति है. उर्दू में लोग इसे ‘दीवार कहकहा’ कहते हैं. ‘कहकहा’ शब्द विशालता का प्रतीक हैं.

great wall of china facts चीन की दीवार की ऊंचाई कितनी है?

चीन की राजधानी पेचिंग के उत्तर से होती हुई यह दीवार मध्य एशिया के रेगिस्तान तक चली गई है. पेचिंग के निकट का हिस्सा आज भी वैसा ही ठोस है, यानि इसे बने अभी अधिक दिन न हुए होंगे. इसकी नींव के विषय में हम आपको यह बता दें कि इस दीवार की नींव प्रत्येक स्थान पर 25 फीट है.

इसकी चौड़ाई भी, ऊपर की ओर कहीं दस फीट और अधिक हिस्सों में बीस फीट है. दीवार के दोनों तरफ ईट और पत्थरों की जुड़ाई की गई है. बीच में मिट्टी दी गई है. इसमें जो ईटे लगाई गई हैं उनकी मोटाई भी 20 इंच से कम नहीं है. इसकी चौड़ाई इतनी है कि इस पर एक साथ गाडियों की तीन-तीन कतारें दौड़ सकती हैं.

great wall of china location चीन की दीवार कहां से होकर गुजरती है

चीन की इस महान् दीवार के निर्माण के पश्चात् यद्यपि तातार आक्रमणकारियों का उपद्रव हमेशा के लिये बन्द हो गया, पर सम्राट के लिये अपने देश में ही अनेक दुश्मन पैदा हो गये.

इस दीवार के निर्माण में साधारण जनता को जो बलिदान और त्याग करने पड़े थे, उससे उसका पूर्ण शोषण हो चुका था. चिंग के शासन के कड़े नियम दीवार के निर्माण की शीघ्रता में जनता के दुख-दर्द का भूल जाना, इन सबने मिलकर जनता में असन्तोष की लहर पैदा कर दी थी.

जिस प्रकार यह दीवार सम्राट चिंग के लिए विश्व प्रसिद्धि का सन्देश लाई उसी प्रकार यह उसके शासन की समाप्ति का प्रतीक भी बन गई.

how old is the great wall of china चीन की दीवार कितनी पुरानी है?

इधर दीवार पूरी हुई, और उधर देश में क्रांति की आग जल उठी. उसके शासन  में पीड़ित जनता ने ‘हान वंश’ के केयाटी नामक एक नवयुवक के नेतृत्व में विद्रोह किया और इस वीर युवक ने चिंग के हाथों से राजसत्ता की बागडोर छीन ली.
great wall of china length

china ki diwar ki lambai kitni hai चीनी भाषा में इस महान दीवार को ‘वानली-चुंग’ कहत हैं. इसका अर्थ होता है 3400 (तीन हजार चार सौ) मील लम्बी दीवार. इससे इस बात का पता चलता है कि प्रारम्भ में इस दीवार की लम्बाई 3400 मील होगी. पर ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर 1500 मील लंबी दीवार की पुष्टि तो होती ही है.

अब इस दीवार की लम्बाई 1200 मील की ही रह गई है. संभवतः चिंग और केआटी के बाद के चीनी सम्राटों ने इसके कुछ हिस्सों से इस दीवार को छोटी करवा दी हो. अथवा यह भी संभव है कि विदेषी आक्रमणों के फलस्वरूप यह दीवार एक और से ध्वस्त होती गई हो और इस तरह इसकी लम्बाई कम होती चली गई हो.

चाहे जो भी कारण रहा हो हमें इसका प्रमाण कहीं नहीं मिलता है. चीनी क्षेत्रों में इस दीवार के सम्बन्ध में कितने ही लोक गीत भी प्रचलित हैं. इन लोक गीतों में दीवार को चीन के लिए ‘वरदान’ और ‘अभिशाप’ दोनों ही का रूप दिया गया है.

इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि चीनी जनता में जितनी श्रद्धा इस दीवार के लिये है उतनी ही घृणा और वेदना भी उनके हृदय के एक कोने में इस दीवार के लिए सरकार के पहले च्याॅग काई शेक ने इस दीवार को जहां-जहां से मरम्मत करवाने का काम शुरू करवाया था.

परन्तु तभी देष में भयंकर जनक्रांति फैल गई. इस क्रान्ति से यह दीवार भी प्रभावित हुए बिना नही रही. जहां-तहां इस दीवार को बहुत अधिक क्षति पहुंची. पर इससे दीवार की महानता में कोई अन्तर नहीं आया.

सम्राट केआटी के शासन के पश्चात् और भी कितन सम्राट चीन की गद्दी पर बैठे. चिंग द्वारा बनवाई गई यह रक्षात्मक दीवार उसके बाद के सम्राटों के लिए वरदान सिद्ध हुई. उतर के आक्रमणकारियों से चीन सदा-सदा के लिए मुक्त हो गया था.

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